वायरस (Virus meaning in Hindi )पृथ्वी पर पाए जाने वाला सबसे छोटा प्रकार का परजीवी है, जो आमतौर पर आकार में 0.02 से 0.3μm तक होता है, हालांकि कुछ वायरस 1μm जितने बड़े भी हो सकते हैं।

एक वायरल कण या विषाणु में एक एकल न्यूक्लिक एसिड (RNA या DNA) कोर होता है जो प्रोटीन कोट से घिरा हुआ होता है और इसमें ऐसे एंजाइम होते हैं जो वायरल प्रतिकृति(Replication) शुरू करने की आवश्यक होते है।

वायरस अकोशिकीय हैं, जिसका अर्थ है कि वे ऐसा जैविक घटक हैं जिनके पास सेलुलर संरचना नहीं है।
इसलिए, उनके पास कोशिकाओं के अधिकांश अवयवों, जैसे कि ऑर्गेनेल, राइबोसोम और प्लाज्मा झिल्ली की कमी होती है।

विषाणु यानि वायरस केवल जानवरों, पौधों और जीवाणुओं की कोशिकाओं के भीतर ही प्रतिकृति (प्रजनन) कर सकते हैं, जिसके कारण वह इंट्रासेल्युलर परजीवी के रूप में संदर्भित होते हैं (वायरस इन हिंदी मीनिंग)।

ऐतिहासिक रूप से, कुछ में जानवरों, पौधों और मनुष्यों की तबाही का कारण वायरस रहें है।
पोलियो, फुट एंड माउथ डिजीज और चेचक और इसी समय चल रही कोविद-19 यानी कोरोना वायरस जैसी बीमारियां लोगों और जानवरों पर व्यापक रूप से विनाशकारी प्रभाव के लिए अच्छी तरह से जानी जाती हैं।

यह भी अच्छी तरह से जाना जाता है कभी कभी पूरी खेत के फसल की बरबादी के लिए वायरस की एक बड़ी संख्या के कारण होने की संभावना रहती है।

 

 

 

वायरस क्या है? Definition of Virus in Hindi

Virus meaning in Hindi

 

वायरस एक अतिसूक्ष्म संक्रामक घटक है जो केवल एक सजीव के जीवित कोशिकाओं के अंदर ही प्रतिकृति करता है। वायरस जानवरों और पौधों से लेकर सूक्ष्मजीवों बैक्टीरिया और कवक सहित सभी प्रकार के जीवन रूपों को संक्रमित करते हैं।

 

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वायरस की खोज Discovery of Virus in Hindi

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Adolf mayer Credit: Wikipedia

 

वायरस की खोज 1886 में अडोल्फ मेयर ने की थी
जो एक जर्मन रसायनशास्त्री था । हालांकि इसके खोज के पीछे Dmitri Ivanovsky, Martinus Beijerinck को भी श्रेय जाता है।

1886 से पहले वायरस के बारे में बहुत कम जानकारी थी। तब वायरस से होने वाले रोगों की सारवार और रोकथाम काफी मुश्किल थी।

लुई पाश्चर और एडवर्ड जेनर ने वायरल संक्रमण से बचाने के लिए पहला टीका विकसित किया, लेकिन वे वायरस के बारे मे नहीं जानते थे।

 

क्या वायरस सजीव हैं?

 

जब शोधकर्ताओं ने पहली बार वायरस की खोज की और महसूस किया कि वे बैक्टीरिया के समान व्यवहार करते हैं, तो उन्हें आम तौर पर जैविक रूप से “सजीव” माना जाता था।

हालांकि, यह 1930 के दशक में यह अवधारणा बदल गयी जब यह प्रदर्शित किया गया कि वायरन में उन तंत्रों (Mechanism)की कमी थी जो चयापचय के कार्य के लिए आवश्यक हैं।
तब वैज्ञानिकों ने यह निर्धारित किया कि वायरस केवल RNA या DNA से युक्त होते हैं, जो प्रोटीन शेल के भीतर होते हैं, उन्हें आमतौर पर जीवों के बजाय जैव रासायनिक तंत्र के रूप में सोचा जाता है।
वायरस को सजीव और निर्जीव के दोनों के बिच की कड़ी भी कहा जाता है।

 

वायरस की संरचना Structure of Virus in Hindi

वायरस की संरचना मुख्यत: तीन चीजों की बनी हुयी है
1)आनुवंशिक सामग्री:
या तो DNA या RNA

2) प्रोटीन कोट, या कैप्सिड:
जो आनुवंशिक जानकारी की सुरक्षा करता है।

3) लिपिड लिफाफा या एन्वेलप :
कभी-कभी प्रोटीन कोट के आसपास मौजूद होता है जब वायरस कोशिका के बाहर होता है।

वायरस आमतौर पर एक सुरक्षात्मक प्रोटीन कोट से बना होता है जिसे कैप्सिड कहा जाता है। कैप्सिड विविध आकार के होते हैं,
जो सरल पेचदार रूपों से लेकर पूंछ के साथ अधिक जटिल संरचनाओं वाले वायरस पाए जाते है ।
कैप्सिड बाहरी वातावरण से वायरल जीनोम की रक्षा करता है और रिसेप्टर को पहचानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे वायरस अतिसंवेदनशील मेजबानों और कोशिकाओं को संलग्न बनाने में सक्षम बनाता है।

कभी-कभी कैप्सिड एक फास्फोलिपिड एन्वेलप के भीतर निहित होता है जो मेजबान कोशिकाओं के झिल्ली से प्राप्त होता है।

स्पाइक प्रोजेक्शन नामके वायरल एन्कोडेड प्रोटीन आमतौर पर इस एन्वेलप के भीतर पाए जाते हैं।

वे आमतौर पर ग्लाइकोप्रोटीन होते हैं, और वे रिसेप्टर मान्यता के माध्यम से वायरस को लक्ष्य कोशिकाओं की ओर बढ़ने में भी मदद करते हैं। जिसका प्रसिद्ध उदाहरण इन्फ्लूएंजा ए वायरस है, जो इसकी सतह पर ग्लाइकोप्रोटीन न्यूरोमिनिडेस और हेमाग्लगुटिनिन को व्यक्त करता है।

सबसे बड़े और सबसे जटिल वायरस को उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले प्रकाश माइक्रोस्कोप का उपयोग करके देखा जा सकता है।

विभिन्न प्रकार के वायरस अलग-अलग आकार के होते हैं, दो मुख्य प्रकार

1) फिलामेंट (छड़) :

जहां न्यूक्लिक प्रोटीन सबयूनिट्स को एक रैखिक फैशन मे होता है।

2)आइकोसहेडल पॉलीगॉन (विषमफलकी बहुभुज)

इसमें स्फेरिकल यानि गोले जैसे आकार मे व्यवस्थित होते है।

ज्यादातर वानस्पतिक वायरस और कई बैक्टीरियल वायरस छोटे फिलामेंट्स या बहुभुज होते हैं।

बैक्टीरियोफेज, जो बड़े और अधिक जटिल होते हैं, और जिनमें डबल-स्ट्रैंडेड DNA होते हैं, जो रॉड और गोलाकार आकृतियों का संयोजन होते हैं।
प्रसिद्ध टी 4 बैक्टीरियोफेज में एक बहुभुज सिर होता है जहां डीएनए निहित होता है, और एक रॉड के आकार की पूंछ लंबे तंतुओं से बनी होती है।

 

वायरस का वर्गीकरण Classification of virus in Hindi

 

 

वायरस को वह कोनसी बीमारियां फैलाते है इसके अनुसार वर्गीकृत नहीं किया जाता बल्कि उन्हें अलग-अलग परिवारों में विभाजित किया जाता है, जो इस बात पर आधारित होते हैं कि न्यूक्लिक एसिड एकल है या डबल-स्ट्रैंडेड है,
इसके अलावा वायरल एन्वेलप मौजूद है या नहीं
और उनकी प्रतिकृति की प्रक्रिया के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है।

Single-stranded RNA वायरस को इस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है कि क्या उनमे पॉजिटिव या नेगेटिव -संवेदी RNA है या नहीं ।
DNA वायरस मेजबान कोशिकाओं के नाभिक के भीतर प्रजनन करते हैं, जबकि RNA वायरस आमतौर पर साइटोप्लाज्म में ऐसा करते हैं।

वायरस को आकार के आधार पर चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. फिलामेंटस(filamentous),
  2. आइसोमेट्रिक या आइसोसाहेड्रल (icosahedral),
  3. लिफ़ाफ़े(enveloped), और
  4. सिर और पूंछ(head and tail)

 

 

 

वायरस के प्रकार Types of Virus in Hindi :

 

वायरस के मेजबानों के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार मे वर्गीकृत किया जाता है

 

 

वायरस का जीवन चक्र Life cycle of Virus in Hindi

 

एक बार जब एक वायरस एक होस्ट सेल को संक्रमित कर देता है, तो वह उस सेल के भीतर हजारों बार दोहरा सकता है। जब की बैक्टीरिया या अन्य कोशिकाओं मे पहले कोशिकाओं का विभाजित होता है और पुन: जुड़ाव होता है, वायरस की इस प्रक्रिया को Lytic Cycle कहा जाता है।

सबसे पहले, वायरस अपने DNA और प्रोटीन कोट की नकल करता है, जिसे फिर नए वायरस कणों में इकट्ठा किया जाता है। यह मेजबान सेल को फटने (Lysing) कारण बनता है, यही वजह इसे lytic cycle कहा जाता है।
एक बार सेल के फटने के बाद जो नए वायरस कण निकलते हैं, वे मेजबान कोशिकाओं के आसपास की अन्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।

इस प्रक्रिया में बारह घंटे तक का समय लग सकता है, जैसा कि नोरोवायरस मे होता है, या जब तक कई दिनों तक चलता है, जैसा कि इबोला वायरस के मामले में होता है।

कुछ जटिल वायरस जिन्हें फैज(phage) कहा जाता है, वे अपने DNA को अपने मेजबान सेल से बांधते हैं या अपने DNA के छोटे-छोटे टुकड़ों को साइटोप्लाज्म में जमा करते हैं।
इसके कारण जब कोशिका विभाजित होती है, तब वायरल डीएनए को बेटी कोशिकाओं में कॉपी किया जाता है। यह चक्र, जिसे लाइसोजेनिक चक्र कहा जाता है, लिटिस चक्र की तुलना में कम सामान्य है।

 

 

 

वायरस कैसे संक्रमित करते हैं?

 

 

वायरस के पास स्वतंत्र रूप से जीवित रहने के लिए आवश्यक तंत्र नहीं है इसलिए वह पौधे, जानवर, या बैक्टीरियल मेजबान कोशिकाओं की तलाश करते हैं जहां वे उन कोशिकाओं की मशीनरी को दोहराने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

वायरस क्षैतिज(Horizontal) या ऊर्ध्वाधर(Vertical) संचरण के माध्यम से मेजबान में प्रवेश करता है, ज्यादातर क्षैतिज। क्षैतिज संचरण के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

प्रत्यक्ष संपर्क प्रसारण(Direct Contact Transmission):

इस शारीरिक संपर्क के माध्यम से एक से दूसरे मेजबान मे फैलता है जैसे की चुंबन, काटना या संभोग।

अप्रत्यक्ष संचरण( Indirect Transmission):

यहां वायरस को दूषित वस्तुओं या सामग्रियों जैसे कि चिकित्सा उपकरण या साझा कीए हुए खाने के बर्तनों या कपडे के संपर्क के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।

सामान्य वाहन संचरण(Common Vehicle Transmission) :

यह संसरण मे जब व्यक्ति भोजन और पानी के जरिये वायरस से संक्रमित होते हैं जो चेपग्रस्त व्यक्ति के मल से दूषित होते हैं। यह अक्सर महामारी रोग का कारण बनता है।

एयरबोर्न ट्रांसमिशन (Airborne Transmission) :

यह श्वसन संक्रमण को संदर्भित करता है जो तब होता है जब वायरस साँस के जरिये फैलता है।
एक बार जब कोई वायरस अपने मेजबान तक पहुँच जाता है, तो यह पहचानता है और एक लक्ष्य सेल की सतह पर एक विशिष्ट रिसेप्टर को बांधता है।

एक अच्छी तरह से अध्ययन किया उदाहरण मानव T लिम्फोसाइटों पर CCR5 रिसेप्टर और मानव इम्युनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी) की सतह पर मौजूद gp41 प्रोटीन के बीच होने वाली प्रक्रिया है।

 

 

 

वायरस के कारण होने वाली बीमारियां
Virus diseases in hindi

 

श्वसन संबंधी वायरल बीमारी

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल वायरल रोग

त्वचा संबंधी वायरल बीमारी

लिवर संबंधी वायरल बीमारी

रक्तस्रावी वायरल रोग

न्यूरोलॉजिकल वायरल रोग

यौन संचारित वायरल बीमारी

ऊपर दी गयी सूची मे सबसे आम वायरस से होने वाली बीमारियां बताई गयी है इसके अलावा भी वायरस के कारण बहुत सारी बीमारियां होती है।

 

 

 

 

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