फैटी लिवर क्या होता है? What Is Fatty Liver In Hindi

 

 

हमारे लिवर में कुछ कम मात्रा में वसा होती है,हमारे लिवर के पुरे वजन के 5-10% वजन वसा को सामान्य माना जाता है। लेकिन जब किसी भी कारण यदि इसकी मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तो liver के अंदर व चारों तरफ जमा होने लगता है तो ऐसी परीस्तिथि को फैटी लिवर(Fatty Liver in Hindi) कहते हैं।

फैटी लिवर को लिवर के अंदर वसा की मात्रा के आधार पर 3 ग्रेड मे बांटा जाता है :
Grade 1
Grade 2
Grade 3

इसके अलावा उसकी स्थति के अनुसार फैटी लिवर दो प्रकार के होते है:
1) Reversible Type फैटी लिवर
2) Irreversible Type फैटी लिवर

ज्यादातर फैटी लिवर reversible type का होता है जिसको हम खाने पिने की आदतों और लाइफ स्टाइल के बदलाव कर के ठीक किया जा सकता है और मरीज सम्पूर्ण स्वस्थ बन सकता है।

हालांकि इसके लक्षणों को नजर अंदाज करने से या जीवन शैली और खाने पिने की आदतों को बदलाव ना करने से हमारे लिवर मे कायमी क्षति हो सकती है, जिसका इलाज या तो असंभव हो जाता है या बहुत कठिन एवं महँगा हो जाता है।

वसायुक्त लिवर (Fatty liver in Hindi) आज कल विकसित देशों में पायी जाने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है।

जैसा की हम जानते है Liver यानि यकृत हमारे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंगो मे से एक है।
और यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि (Largest Gland)भी है। और अंगों में दूसरा सबसे बड़ा है।

Liver हमारे शरीर में पित का (bile) के निर्माण करता है जो हमारे आहार मे पायी जानी वाली वसा (fat) का अवशोषण(absorption) एवं पाचन (digestion)में मदद करता है।

इसके आलावा लिवर हमारे शरीर में उपस्थित चयापचयों एवं शरीर के लिए जहरीले पदार्थों को detoxify करने में तथा कई तरह के प्रोटीन तथा एमिनो एसिड के निर्माण में अपनी भूमिका निभाता है।

 

 

आजकल की तनाव युक्त लाइफ स्टाइल तथा ज्यादा वसायुक्त भोजन और जंक फूड ( junk food) के अधिक सेवन के कारण फैटी लिवर की समस्या बहुत ही आम हो गई है।

Health 360 in Hindi के लेख मे आज हम फैटी लिवर के लक्षण, उपचार बचाव के बारे मे जानेंगे।

 

 

 

फैटी लिवर के कारण- Causes of Fatty Liver In Hindi

 

 

फैटी लिवर के कारणों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है –

 

 

फैटी लिवर के लक्षण Symptoms of Fatty Liver in Hindi

 

जैसे की ऊपर बताया गया है फैटी लिवर का समय रहते उपचार ना किया जाये या जीवन शैली मे बदलाव ना करने पर Ireversible type का फैटी लिवर हो सकता है।
तब ऐसी परिस्थिति और आगे बढ़ने से

 

 

 

फैटी लिवर का परिक्षण – Diagnosis of Fatty Liver in Hindi:

निम्नलिखित परिक्षण फैटी लिवर के निदान मे किये जाते है:

1.रक्त परिक्षण (Blood Test):

2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasonography ) :

3. C.T Scan :
सिटी स्कैन से फैटी लिवर की सटीक जानकारी मिल सकती है और इनके अलावा Grade का भी मूल्यांकन किया जा सकता है। जसके कारण डॉक्टर को उचित उपचार करने मे भी मदद मिलती है।

4. डॉक्टर द्वारा शारीरिक परिक्षण :
शारीरिक परिक्षण करके डॉक्टर लिवर की सूजन या बढ़ा हुआ लिवर का आकार का पता चला सकता है।

5.Liver Biopsy
– फैटी लिवर का निदान करने के लिए लिवर बीओप्सी को सबसे सटीक माना जाता है।

इसमें पैथोलोजिस्ट एक बड़ी मोटी सूई से लिवर के अंदर की कोशिकाओं का नमूना लेता है और माइक्रोस्कोप मे इस कोशिकाओं का परिक्षण करता है।
लिवर बीओप्सी मे लिवर की क्षति की मात्रा, सूजन, फाइब्रोसिस के आधार पर Grade तय किया जाता है।

फैटी लिवर का इलाज़ – Traetment of Fatty Liver in Hindi:

 

हालांकि फैटी लिवर की कोई खास चिकित्सा पद्धति नहीं है या कोई विशेष सर्जरी भी नहीं है।
फैटी लिवर के इलाज मे सबसे महत्वपूर्ण हमारे जीवन शैली और खाने पिने की आदतों का बदलाव करना उचित है।

 

शुरुवाती लक्षण नजर आने पर डॉक्टर मरीज को
विटामिन बी काम्प्लेक्स युक्त सप्लीमेंट्स,
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, लिपिड लोवेरिंग ड्रग्स जैसी दवाइयां प्रिस्क्राइब करेगा ।
यह दवाई लिवर से फैट को हटाने मे मदद करती है।

Surgery

सर्जरी या दवाई का उपयोग सिर्फ एक सहायक चिकित्सा के रूप मे किया जाता है। या फिर लक्षणों को कम करने के लिए रोगसूचक (Symptomatic) सारवार की जाती है।

लिवर ट्रांसप्लांट –

यदि फैटी लिवर से पीड़ित मरीज को ऊपर बताये गए तरीके से लाभ नहीं मिलता है, तो फिर डॉक्टर उसे लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं।
लिवर ट्रांसप्लांट की प्रकिया मे डॉक्टर बिगड़ा हुआ लिवर को सेहतमंद व्यक्ति के लिवर से बदलते हैं।

 

 

बेरियाट्रिक सर्जरी

शरीर में वसा की मात्रा व मोटापा कम करने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी गैस्ट्रोइंटेस्टिनल डॉक्टर के द्वारा किया जाता है। यह सर्जरी एल्कोलिक और नॉन एल्कोलिक मरीज दोनों को किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शरीर में चर्बी या वसा की मात्रा और मोटापा कम हो।

आमतौर पर फैटी लिवर की समस्या जिस कारण से हुयी हो उसका उचित उपचार करना या उसीके बीमारियों के अनुसार जीवन शैली मे परिवर्तन करना भी आवश्यक है जैसे की:
शराब के सेवन कम करना या बिलकुल बंद करना,
डायबिटीज को कट्रोल करना ,
भूखा ना रहना ,
व्यायाम करना,
अधिक जंक फ़ूड का सेवन ना करना आदि

यदि मरीज को अत्यधिक शराब के सेवन के कारण फैटी लिवर है तो उनको शराब
पीने की आदत को छोड़ना पड़ेगा।

यदि मरीज को NALD है ,तो यह देखना जरुरी होगा की
की ये किस बीमारी के कारण हुआ है।

यदि फैटी लिवर मोटापे के कारण है तो वजन नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है।

मोटापे मे होने वाले फैटी लिवर की समस्या को रोकने के लिए
अपने खान पान की आदते बदल कर ,
योग एवं शारीरिक कसरत आदि की सहयता से धीरे धीरे वजन को कम करना बहुत ही बढ़िया एवं सुरक्षित तरीका है।

यदि मरीज को डायबिटीज है तो उसको अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना आवश्यक है।
क्यूंकि अगर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल मे नहीं रहता तो यह लिवर के साथ साथ किडनी, आंख और हमारे पुरे शरीर के चेतातंत्र को प्रभावित कर सकता है।

नियमित रूप से Yoga करना ,
हलके व्यायाम,
aerobic exercises जैसे
jogging(दौड़ना),
cycling(साइकिल चलाना),
swimming (तैरना) इत्यादि फैटी लिवर के बचाव के साथ साथ हमारे शरीर के ओवर ऑल स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छी आदतें है।
यह सब करने से हमारे लिवर की चरबी के साथ साथ पुरे शरीर की चरबी भी कम हो जाती है, जिससे वापस फैटी लिवर होने की संभावना भी कम हो जाती है। और लिवर की सूजन भी ठीक हो जाती है।

हमारे दैनिक आहार में अधिक से अधिक एवं विविध सब्जियां और फलों का प्रयोग करना चाहिए।
थोड़ा-थोड़ा आहार दिन मे तीन से चार बार लेना चाहिए। खाने मे हल्का सुपाच्य आहार लेना चाहिए, जिसके कारण लिवर को पचाने मे तकलीफ कम पड़े।

ज्यादातर तले हुए और स्पाइसी आहार को कम से कम खाना चाहिए।

 

फैटी लिवर के जोखिम -Complications of fatty liver in Hindi

 

किसी भी व्यक्ति को फैटी लिवर को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और उसके समय रहते इलाज शुरू कराना चाहिए क्योंकि इसके अधिक समय तक लाइलाज रहने पर लिवर की बीमारी घातक रूप ले सकती है।
यदि को व्यक्ति लिवर में फैट के जमने की बीमारी का इलाज नहीं कराता है, उसे कुछ जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें से प्रमुख 5 जोखिम इस प्रकार हैं-

पेट में तरल प्रदार्थ का बनना– यदि फैटी लिवर का इलाज सही समय पर नहीं होता है, तो उस स्थिति में पेट में एक प्रकार के तरल प्रदार्थ का निर्माण हो जाता है, जिसे जलोदर (ascites) के नाम से जाना जाता है।

अन्नप्रणाली की नसों में सूजन का होना- इस बीमारी के लाइलाइज रहने पर अन्नप्रणाली (esophagus) की नसों में सूजन हो सकती है।

लिवर का कैंसर होना- इस लिवर की बीमारी के अधिक समय तक बने रहने पर कैंसर का रूप ले सकती है और इससे पीड़ित व्यक्ति को लिवर कैंसर की समस्या हो सकती है।

लिवर का खराब होना- कई बार लिवर में फैटी के जमा होने के कारण लिवर की कार्यक्षमता पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है और इसकी वजह से लिवर खराब (Liver Failure) भी हो जाता है।

सिरोसिस का होना- फैटी लिवर के लाइलाज रहने पर इससे पीड़ित व्यक्ति को लिवर सिरोसिस की समस्या हो सकती है।

फैटी लिवर से बचाव – Prevention Of Fatty Liver In Hindi

 

फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए –

 

 

फैटी लिवर में खाना फल
और रस सभी ताजा होना चाहिए इस बात पर विशेष ध्यान दे।
सब्जियों
आलू
,हरी-सब्जिया,
पालक,
करेला,
कोहड़ा,
भिंडी
इत्यादि सब्जी का उपयोग उबालकर इसका सेवन करे।

फलो
केवल ताजे फल होना चाहिए जैसे
सेब,
अंगूर,
पपीता
लीची,
नाशपाती

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तरल पदार्थ
यानि पानी अधिक पीना चाहिए एव नारियल पानी,
एलोवेरा रस,
बिना मलाई वाला दूध,
मेथी का पानी,
ताजे
सब्जियों के सुप और ताजे फलो के रस का सेवन कर सकते है।

 

फैटी लिवर में क्या परहेज करना –

 

 

शराब,
तैलीययुक्त
पदार्थ,
जंक फूड,
पैक सब्जी,
पैक फल,
अधिक मसाला,
रेड मीट,
कांटफिस,
मिठाईया,
केक,
अचार,
नमकीन ,अधिक मात्रा में
नमक का सेवन इत्यादि खाने से बचे।

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